राजनगर में क्या है देखने योग्य? राजनगर प्रखंड मुख्यालय में ही दरभंगा राज का राज परिसर है. यहां का आकर्षण दरभंगा महाराज का 50 एकड़ में फैला राज परिसर, पुराना राजमहल, हाथीघर और परिसर में स्थित कई मंदिर है जिनमें सचिवालय का हाथीघर, दुर्गा मंदिर और काली मंदिर लोगों का सबसे ज्यादा पसंदीदा है. कहा जाता है कि राजपरिसर के सचिवालय स्थित हाथीघर के हाथी को बनाने में ही सबसे पहले भारतवर्ष में सीमेंट का प्रयोग सन् 1928 में हुआ था. बिहार में 15 जनवरी 1934 को आए सबसे बड़े भूकंप में राजनगर का पूरा राजपरिसर तबाह हो गया. तत्कालीन दरभंगा महाराज ने इसे ठीक करवाने की कोशिश की, लेकिन दरभंगा में सभी अत्याधुनिक सुविधा से लैस भूकंप रोधी महल तैयार हो जाने के बाद परिसर के पुनरुद्धार एक सपना ही बन गया. आज भी हजारों पर्यटक यहां सालों भर इस पुराने महल, परिसर और खंडहर को देखने आते हैं. कई एकड़ में फैले इसके परिसर में नए साल में ही पिकनिक मनाने 50 हजार से अधिक पर्यटक प्रदेश के कई जिले से और नेपाल के कई जिले से आते हैं. नव वर्ष पर प्रशासन, एसएसबी, कई एनजीओ और स्थानीय नागरिक साफ-सफाई एवं विधि व्यवस्था को बन...
राजनगर किला, जिसे जनगर गढ़ के नाम से भी जाना जाता है, भारत के बिहार के मधुबनी जिले के राजनगर शहर में स्थित एक ऐतिहासिक किला है। किले का क्षेत्र में महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है। माना जाता है कि राजनगर किले का निर्माण 18वीं शताब्दी में राज दरभंगा रियासत के शासक महाराजा रामेश्वर सिंह ने करवाया था। किला मुगल, राजपूत और इस्लामी डिजाइन के तत्वों के संयोजन, स्थापत्य शैली का एक संयोजन दिखाता है। किला ईंट और पत्थर से बनी ऊंची दीवारों से घिरा हुआ है। इसमें कई प्रवेश द्वार हैं, जिन्हें दरवाज़े के रूप में जाना जाता है, जिनमें चंद्रावती दरवाज़ा, बेलसंधि दरवाज़ा और पंसारी दरवाज़ा शामिल हैं। ये प्रवेश द्वार जटिल नक्काशी और सजावटी पैटर्न प्रदर्शित करते हैं। किले के अंदर, आप एक महल पा सकते हैं जिसे राजनगर महल के नाम से जाना जाता है। महल अपने अलंकृत आंतरिक सज्जा, सुंदर कलाकृति और ऐतिहासिक कलाकृतियों के लिए जाना जाता है। महल की वास्तुकला हिंदू और इस्लामी स्थापत्य शैली के मिश्रण को दर्शाती है। किले में एक संग्रहालय भी है जो मूर्तियों, सिक्कों, मिट्टी के बर्तनों और पांडुलिपियों सहि...
यह भारत में काली माँ कि सबसे ऊंची प्रतिमा है। यह भारत में काली माँ कि सबसे ऊंची प्रतिमा है। इस प्रतिमा का निर्माण विख्यात ब्लैक मारवल से हुआ है, जबकि यह व्हा इट मारवल से बने भव्य मंदिर में स्थापित है। इटली के मूर्तिकार ने इस मूर्ति को करीब दो साल की कडी मेहनत के बाद तैयार किया था और यह मूर्ति इटली से भारत आनेवाली पहली देवी प्रतिमा है। यह प्रतिमा दरभंगा प्रमंडल स्थिति खंडहरों के शहर राजनगर में स्थापित है। करीब 8 फुट ऊंची इस प्रतिमा की स्थापना तंत्र साधक व तिरहुत सरकार महाराजा रामेश्वर सिंह ने की थी। 1929 में महाराजा रामेश्वर सिंह के निधन के बाद दरभंगा के माधवेश्वर शमशान में उनकी समाधि पर भी उनके पुत्र महाराजा कामेश्वर सिंह ने काली माँ की ऐसी ही मूर्ति स्थापित की। वो मूर्ति भी उसी मूर्तिकार ने उसी पत्थर से बनायी, लेकिन छोटी होने के बावजूद चिता पर रहने के कारण उसका भाव उग्र हो गया, जबकि इनका भाव शीतल है। अमरेन्द्र सिंह एससीपी फ़ाउंडेशन एनजीओ मधुबनी बिहार https://scpfoundationngo.com https://www.facebook.com/scpfoundation.singh http://scpfoundationngo.blogspot.com/ http...
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