इसकी कहानी भी टाइटैनिक से कम नहीं है। किसी भी महल में संभवत: यह सबसे पहला सीमेंट से बना खंभा है। || एससीपी फ़ाउंडेशन मधुबनी बिहार
इसकी कहानी भी टाइटैनिक से कम नहीं है। किसी भी महल में संभवत: यह सबसे पहला सीमेंट से बना खंभा है।
इसकी कहानी भी टाइटैनिक से कम नहीं है। किसी भी महल में संभवत: यह सबसे पहला सीमेंट से बना खंभा है। 1886 में बने "राजनगर" मधुबनी सचिवालय के लिए ब्रिटिश वास्तुकार डॉ• एम ए कोरनी ने खास तौर पर इस तकनीक को ईजात किये थे। दरभंगा राज के कर्जदार कोरनी कर्ज चुकाने के बदले एक ऐसी चीज देने का वादा किये, जो वो अब तक किसी भी भवन में नहीं प्रयोग किये थे। उनका दावा था कि यह दुनिया का सबसे मजबूत खंभा है और इसपर टिका महल कभी ध्वस्त नहीं होगा। मैंने सुना है टाइटैनिक को बनानेवाले भी उसे कभी न डूबनेवाला जहाज कहा था। वो अपने पहले सफर में ही डूब गया और बचा रहा तो केवल उसका मलबा और इतिहास। इस सचिवालय ने भी 1934 में भूकंप का केंद्र होने का प्रकोप झेला। महल तो ध्वस्त हो गया, लेकिन यह खंभा कोरनी को याद करता हुआ आज भी खडा है। कहा जाता है कि इस खंभो के बीच हाथ से चलनेवाली लिफ्ट थी, जिसकी कडी और रस्सी दिखा कर कुछ लोगों ने इसे फांसी घर का नाम दे दिया, क्योंकि उनकी सोच लिफ्ट तक पहुंची ही नहीं।
अमरेन्द्र सिंह एससीपी फ़ाउंडेशन एनजीओ मधुबनी बिहार https://scpfoundationngo.com https://www.facebook.com/scpfoundation.singh http://scpfoundationngo.blogspot.com/ https://www.linkedin.com/in/scp-foundation-01770141/ https://www.youtube.com/user/scpfoundation021 #राजनगर #मधुबनी #स्कूल
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